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Showing posts from September, 2018

कुछ नए आयाम

ये अँधेरे अब डराते नहीं, उन साख के पत्तों की सरसराहट, झींगुर की आवाजें, रंगों की काली सखी, और उनके साथ आकाश में उड़ता वो निशाचर। अपनी परछाईयों में , किसी दूरस्थ आभा के होने की शंका। सपनो की ऊंचाइयों से वो लंबी छलांग। इन स्याह रंगों में खुद के खो जाने की कल्पना, और खुद ये रातें, अब डराते नहीं। वक्त की लंबी करवट ने, जिंदगी की फेहरिस्त में, कुछ नए आयाम जोड़े है। धुप की रौशनी में अचानक, कुछ पल के लिए सब धुंधला जाना। ठण्डी हवाओं के सिहरन की जब्त। उन बादलों में कोई पहचाना सा आकार। आँखों के किसी कोने में, मोती सा चमकता पानी। ढलते शाम की बाहों में सिमटता मेरा सवेरा, भरमाई रात को खुद में जगते देखना, अब मुझे डराते हैं।

काश की बात

इक काश की बात थी, जो काश में ही रह गई। काश की तुम होती। काश की तुम मेरी होती। काश की मै तुम सा होता। काश की तुम मुझ सी होती। काश की तुम्हारी जुल्फें लहराती। काश की वो घटायें बन पातीं। काश की प्यार की बुँदे बरसती। काश की हम उनमें भींग पातें। काश की तुम मेरी बाँहों में सिमटती। काश की मैं तुम्हारी यौवन में डूबता। काश की मेरी सुबह की शाम तुम्हारे होंठो पर ढलती। काश की मेरी रात की सुबह तुम्हारी पलकों पर उगती। काश की तुम्हारी खुशबू मेरी साँसों में महकती। काश की मेरी साँसे तुम्हारी धड़कनो में धड़कती। काश कि मेरी खामोश जुबां के पीछे छिपी बात, तुम सुन पाती। काश की तुम्हारी बोलती बातों के पीछे छिपी ख़ामोशी मैं समझ पाता। काश की तुम्हारी चौराहे वाली सड़क पर मैं अपनी जिंदगी ढूंढने निकलता। काश की तुम मिल जाती। काश की हम मिल जातें। इक अफसाना गुजर गया, वो यादें ढह गयी, जो काश की बात थी, वो काश में ही रह गई।

हिम्मत

कुछ पा ही लूँगा शायद तुम्हे खोने के बाद, पर ये बदहवास हँसी मेरी ना हो सकेगी। तुम्हारी हथेलियों के बीच वो गाल, मेरे ना हो सकेंगे। तुम्हारी आँखे जब आईना बनेंगी उसमें दिखने वाली वो परछाई, मेरी ना हो सकेगी। तुम्हारी मेंहदी लगी उन हाथों में कहीं तो जो नाम होगा वो, मेरा ना हो सकेगा। सूरज की पहली किरण जब तुम्हारे गालों को छुवेगी, तब तुम्हारी आँखों पे ढल रहें उन केशों को हटा कर उन्हें कान के पीछे फसाने वाली उंगलियाँ, मेरी ना हो सकेगी। तुम्हारी गुस्से में लाल हो चुकी गालों को चूमने वाले होंठ, मेरे ना हो सकेंगे। तुम्हारी आँखों से गिरने वालें आँशुओं की वो बुँद जहाँ आकर खुद समा जाये वो कांधा, मेरा ना हो सकेगा। तुम्हे खुद में जीने की ख्वाइश, मेरी ना हो सकेगी। कुछ पा ही लूँगा तुम्हे खोने के बाद, पर तुम्हे खो कर जी पाने की फिर हिम्मत, मेरी ना हो सकेगी।

वक़्त

वो मिल गया है जो बिछड़ रहा था। कुछ रुक गया है, जो गुजर रहा था। जिसने थामा था, उस वक्त के पास, वो पाया था जो, बिसर रहा है। रोक लूँ या जाने दूँ। जब वो मिल गया है, तब जरुरत क्या इसकी है। खामोश कर दूँ दिल की आवाजों को ये बोल कर, की चुप कर तू, ये वही तो है न, जो मुझे चाहिए था। पर जिसे तू चाहिये, उसके दिल की आवाज का, करना क्या है, तूने सोचा है क्या ये? जिसने तेरी आंसुओं से अपने दामन भिंगोये, वही दामन तू छोड़ देगा उसकी आंसुओ के खातिर। इतना खुदगर्ज तो तू न था। हां इतना खुदगर्ज तो मैं न था। तो क्या छोड़ दूँ जो मिल गया है, और रोक लूँ जो बिसर रहा है।

वतन

यज्ञ की वेदी बनि थी, इक आग दिलों में जले थें, देकर आहुति प्राण की, स्वतंत्रता के धुप खिले थें। स्वतंत्र माँ के बेटों में, स्वाभिमान अभी भी जिन्दा है, झुकने न देंगे कभी तिरंगा सांस अभी भी जिन्दा है। सृजन के बीज बन के, कर देंगे जान भी अर्पण, उपजें गे पुनः इसी धरती पर, जहाँ इंसा नियत अभी भी जिन्दा है। माँ भारती के पुत्र है, ये भूमि हमारी जननी , गंगा ने सींचा है हमें, हिमालय ने दी शक्ति, कश्मीर से कन्याकुमारी तक, ये कारवां हमारा है, हिन्दू है हम , वतन ये हिन्दुस्ता हमारा है।

Sister

She is my Porter. Porter of, All my Burdens, All my Troubles, All my Sorrows, All my moments, When I feel disappointed, When I feel heartbroken, When I feel sad. She port all my worst thoughts away from me and fill my soul with her Cheerful smile. She is a true Porter of M y Life. She is my Sister..