आपकी तारीफ़
मै 'मुझे' था, तुम 'तुमसे' थी, दिल में 'प्यार' था मेरे, जब हम मिले तो, 'मुझे तुमसे प्यार' हुआ l 'इश्क़ की लहरों ने हसीन करवट ली'.... तुम 'तुम्हे' बनी, मै 'मुझसे' बना, दरमियाँ प्यार दोनों के आई, फिर तुम्हे भी मुझसे प्यार हुआ l 'एक लम्हा आया'.... ख्वाब 'आँखे' बनी, प्यार 'शराब' और, तुम 'मदहोशी' मेरी पलकों पर तुम्हारे ख्वाब की मदहोशी आई l 'एक कारवां आया'.... लफ्ज 'वादें' बने, प्यार 'कस्मे' बनी, और, तुम 'साँसे', लफ़्जो के जद में मैंने अपनी साँसों को कैद किया l 'चाहतो के समंदर में ठहराव था, साँसों के शोर में ख़ामोशी, मुकम्मल हो रही थी इश्क़ की सारी ख्वाइशे' 'अचानक ये तूफान कहा से आई'... 'दिन ने अपना पहर बदला, सूरज की लालिमा ने अपना रंग', 'धुंधले से दिखने लगे हमारे सारे वो कल,' मुहब्बत की मंजिले 'ताश' बनी, आरजुओं के महल 'पत्ते' बने, और गलतफहमिया 'बवंडर', बिखेर दिया बवंडर ने उस महल को ...