जिंदगी
















बेअदब से है जिंदगी के ये फ़लसफ़े,
गलतियां गिनता हूँ तो,अच्छाइयां छोटी लगती है,
अच्छाइयां गिनु तो गलतियां l

 नासूर सी चुभती है,रुआंसी इन हवाओं की,
 कसूर बताते नहीं मेरे,और शिकायतें हज़ार हैं l

बस भी कर रूठ जाने का ये सिलसिला,
हयात ये मेरी ,किराये का मकान थोड़े है l

गुरुर नहीं तेरी दी मोहलत का मुझे,
तू खुश है जो,तो छीन ले इसे,
बदल दे तू घर मेरा,डराता किसको है,
मेरी पेहचान, तेरी मोहलत की मोहताज़ थोड़े है l

हुन वाकिफ़ तेरी इन रिवायतों से लेकिन,
कर दरकिनार इसको,
इज़ाफ़ा तो कर अपनी वफाओं मे,
तेरी बेवफाई का पहला सौदागर तो मै हूँ,
ये नकाबपोश ईमानदार थोड़े है l
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हयात - मकान

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