जिंदगी
बेअदब से है जिंदगी के ये फ़लसफ़े, गलतियां गिनता हूँ तो,अच्छाइयां छोटी लगती है, अच्छाइयां गिनु तो गलतियां l नासूर सी चुभती है,रुआंसी इन हवाओं की, कसूर बताते नहीं मेरे,और शिकायतें हज़ार हैं l बस भी कर रूठ जाने का ये सिलसिला, हयात ये मेरी ,किराये का मकान थोड़े है l गुरुर नहीं तेरी दी मोहलत का मुझे, तू खुश है जो,तो छीन ले इसे, बदल दे तू घर मेरा,डराता किसको है, मेरी पेहचान, तेरी मोहलत की मोहताज़ थोड़े है l हुन वाकिफ़ तेरी इन रिवायतों से लेकिन, कर दरकिनार इसको, इज़ाफ़ा तो कर अपनी वफाओं मे, तेरी बेवफाई का पहला सौदागर तो मै हूँ, ये नकाबपोश ईमानदार थोड़े है l _____________________________________ हयात - मकान