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Showing posts from October, 2017

दोस्त

थोडी नटखट,थोरी चंचल,थोड़ी मासूम सी है, वो दोस्त है मेरी | . जिद्दी है थोड़ी,थोड़ी शर्मीली भी है, वो दोस्त है मेरी | . हंसी जिसके चेहरे की शोभा है,आंखे जिसकी लहजो की किताब, वो दोस्त है मेरी | . जो कहती है मुझको,की तुम बिलकुल मेरे जैसे हो, मै कहूं जो उसको पागल तो वो,फिर मुझको पागल कहती है, वो दोस्त है मेरी | . उसकी खूबियां मेरी कलम की मुहतशिर नहीं, लिखने को मिले जो फिर भी जन्म दूसरा,तो उसे ही लिखुं खुद के लिए, जो दोस्त है मेरी | . पूछते है सब, कौन है वो परी, कहता हूँ बस इतना, वो दोस्त है मेरी |

गुस्ताखी

तकल्लुफ जो करते थे बयां,तुमसे अपने दिल के, ना जाना की गुस्ताखी कोई,हो रही हमसे.. रूठ जाओगे इस कदर ,जो पता होता, तो सिल के जुबा, अलफाजों को दिल में दफन कही कर देते.. ना करते कोई शिकवा,ना गिला ही कोई करते, याद जो आती कभी तुम्हारी,तो बयान भी ना करते... नजाकत के दीवाने थे,थी निगाहबा बनने की हसरत, जो बेइतेफाकि हुई कोई,तो मुक़र्रर मौत कर देते.. जेहन में है कही थी,एक बात जो तुमने, देते है मेरे दिल को सुकून,अलफ़ाज़ ये तेरे.. तो क्या हुई खता ऐसी ,जो खुदा-ऐ-पाक बन बैठे, करने इन्साफ की जगह,ये रिश्ता साफ़ कर बैठे.. दिला दे मुझको मेरी रूह,जो तुमने चुराई है, या बता दे कहा जायेगा ये, सैलाब-ऐ-बला तुम्हारे बाद l