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स्याह रंग

इन स्याह रंगों की औंध में मेरे कुछ जुगनू टहल रहे थे क्या तुमसे मिले या तुमने देखा उन्हें । डरे-सहमे थोड़े परेशान से दिख रहे होंगे किसी अजनबी ने उन्हें अपनी मुठ्ठी में कैद करने की कोशिश की थी शायद। बहोत ही मासूम है मेरे वो जमीन के सितारे,जब भी मैं उनके बीच जाता हूँ घेर लेते है मुझे मानो मेरे व्यक्तित्व को उस चाँद सा रौशन बनाना चाहते हों जिसके हर तरफ कई चमकीले सितारे हैं। वो दोस्त हैं मेरे क्योंकि खुद को मैंने उनके अनुरूप सजाने की उन्हें इज़ाज़त दे रखी है। उनमे से कुछ तो बहोत ही शरारती थें,,, मेरे केशों में फंस कर एक ताज की आकृति में ढल जाते और उस  पूनम की रात का मुझे राजा घोषित कर देते। मैं अपनी दोनों हथेलियों को आगे की ओर फैलाते हुए, उन्हें उनपर पर बिठा लिया करता और फिर उन्ही हलथेलिओं को जोड़ते हुए एक गुम्बद बना लेता, जिसमे अंदर झाँक कर मै उनकी शरारतों को बड़े गौर से देखता फिर उन्हें उस अँधेरे आकाश में चाँद की तरफ खूब जोरों से उछाल देता की शायद ये उस चाँद तक पहुँच जाते पर वो तो मेरे दोस्त थें फिर ठीक उसी तरह आकर मुझे यूँही घेर लेते और मै हँसता सा उनके बीच नाचने लगता। अब वो ...